मैं तुम्हारा बन गया तो फिर न हारा आँख तक कर फिरी थक कर डाल का फल गिरा पक कर वर्ण दृग को स्पर्श कर को स्वाद मुख को हुआ प्यारा फूल फूला मैं न भूला गंध वर्णों का बगूला उठा करता गिरा करता फिरा करता नित्य न्यारा
हिंदी समय में त्रिलोचन की रचनाएँ